लानत हो ऐसे शख़्स पे बेशुमार हो
अब इतनी देर भी ना लगा आने में
ये न हो तू आ चुका हो तेरा इंतज़ार हो
मै फूल हूँ तो फिर तेरे बालो में क्यों नही
तू तीर है तो मेरे कलेजे के पार हो...
तहज़ीब हाफी
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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