आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दिल मे तकब्बुर,जुबां पर वो कड़वाहटरखते हैं, और कहते हैं रिश्तॆ निभाने मे ऐहतियात बरतते हैं!
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