जो दिखाता अपनी पूर्ण सहिष्णुता
सबको महकाता जो अपनी सुगंध से
ऐसा फूल सा आप भी बनें
बांटता है जो अपनी मुस्कान और कोमलता
तितलियों और भंवरों को देता मधु का दान
सेवा और पुरस्कार की जो खान
ऐसा फूल सा आप भी बनें
ईर्ष्या , तनाव, द्वेष एवं बैर की भावनाओं को
जो रखता है अपने से कोसों दूर
सदा मन में रखता दूसरों के लिए सद्भावना
ऐसा फूल सा आप भी बनें
कुछ पाने की इच्छा और भावना से है जो ऊपर
देना और त्याग भावना ही है जिसमें अशेष
यही जिसके जीवन का मूल मंत्र और संदेश
ऐसा फूल सा आप भी बनें
हवा हो , धूप हो या बरसात
हर मौसम और हर हालत में जो
बेफिक्री से है डोलता और लहराता
ऐसा फूल सा आप भी बनें
सादगी , सुंदरता , सच्चाई का
पाठ जो पढ़ाता है
प्रेम और दया से जो सराबोर रहता है
ऐसा फूल सा आप भी बनेंI
No comments:
Post a Comment