जाने उस शख़्स को कैसे ये हुनर आता है
रात होती है तो आंखों में उतर आता है
सच के रिश्ते बड़े नाजुक होते हैं
ऊंचा बोलने और धीमा सुनने से भी टूट जाते हैं
छोड़ दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरज़ू करना
जिसे मुहब्बत की क़द्र न हो उसे दुआओं में क्या मांगना
शक से भी अक्सर ख़त्म हो जाते हैं रिश्ते
कसूर हर बार ग़लतियों का नहीं होता
मोहब्बत और मौत की पसंद तो देखो यारों
एक को दिल चाहिए और दूसरे को धड़कन
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो जाएंगे
अभी कुछ बेक़रारी है सितारों तुम सो जाओ
हम मेहमान नहीं रौनक़-ए-महफ़िल है
मुद्दतों याद रखोगे कि ज़िंदगी में आया था कोई
तजुर्बा कहता है, मुहब्बत से किनारा कर लूं
दिल कहता है कि ये तजुर्बा दोबारा कर लूं
दिल का दर्द पलकों में कैद है
एहसास उनका हवाओं में कैद है
बदला लेना तुम्हारी फितरत है तो अच्छा है
आज़माएंगे कभी तुम्हारे ख्वाब में आ कर
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