Friday, December 11, 2020

जाने उस शख़्स को कैसे ये हुनर आता है


जाने उस शख़्स को कैसे ये हुनर आता है
रात होती है तो आंखों में उतर आता है


सच के रिश्ते बड़े नाजुक होते हैं
ऊंचा बोलने और धीमा सुनने से भी टूट जाते हैं
 

छोड़ दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरज़ू करना
जिसे मुहब्बत की क़द्र न हो उसे दुआओं में क्या मांगना
 
शक से भी अक्सर ख़त्म हो जाते हैं रिश्ते
कसूर हर बार ग़लतियों का नहीं होता
 
मोहब्बत और मौत की पसंद तो देखो यारों
एक को दिल चाहिए और दूसरे को धड़कन
 
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो जाएंगे
अभी कुछ बेक़रारी है सितारों तुम सो जाओ
 
हम मेहमान नहीं रौनक़-ए-महफ़िल है
मुद्दतों याद रखोगे कि ज़िंदगी में आया था कोई
 
तजुर्बा कहता है, मुहब्बत से किनारा कर लूं
दिल कहता है कि ये तजुर्बा दोबारा कर लूं
 
दिल का दर्द पलकों में कैद है
एहसास उनका हवाओं में कैद है
 
बदला लेना तुम्हारी फितरत है तो अच्छा है 
आज़माएंगे कभी तुम्हारे ख्वाब में आ कर

No comments: