Thursday, December 10, 2020

वो चेहरा ख़ूबसूरत है वो आँखें बात करती हैं

जब उतरे चाँद आँगन में तो रातें बात करती हैं 
वो चेहरा ख़ूबसूरत है वो आँखें बात करती हैं 

सफ़र का हौसला काफ़ी है मंज़िल तक पहुँचने को 
मुसाफ़िर जब अकेला हो तो राहें बात करती हैं 

शजर जब मुज़्महिल हों फूल हों शाख़ों पे अफ़्सुर्दा 
उदास आँगन में दीवारों से शामें बात करती हैं 

मिरी आँखों से नींदें ले के तुम ने रतजगे बख़्शे 
मिरे तकिए मिरे बिस्तर से रातें बात करती हैं 

शजर भी झूमते हैं जब हवाएँ गुनगुनाती हैं 
परिंदे लौट आते हैं तो शाख़ें बात करती हैं 

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