बांधो
मुझे बांधो
पर कहां बांधोगे
किस लय, किस छन्द में ?
ये छोटे छोटे घर
ये बौने दरवाज़े
ताले ये इतने पुराने
और सांकल इतनी जर्जर
आसमान इतना ज़रा-सा
और हवा इतनी कम-कम
नफ़रत यह इतनी गुमसुम सी
और प्यार यह इतना अकेला
और गोल-मोल
बांधो
मुझे बांधो
पर कहां बांधोगे
किस लय, किस छन्द में ?
क्या जीवन इसी तरह बीतेगा
शब्दों से शब्दों तक
जीने
और जीने और जीने और जीने के
लगातार द्वन्द में ?
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