Friday, December 18, 2020

ठहरो तुम मेरी मोहब्बत की राहों में

दिसंबर की इस ठंड चलती हवाओं में

ठहरो तुम मेरी मोहब्बत की राहों में

एक साल बाद आई है फिर, तुमसे मिलने की घड़ी

बूंद बूंद कर टपक रही है ओस बनकर दिलो में

तपिश थी तुम्हें पाने की
इंतजार बहुत करवाया तुमने

करार था मिलन का तुमसे
रूबरू हुए दो नयन

पूरी हुई चाहत ठहरो तुम दिसंबर
मेरी मोहब्ब्त की राहों में .......।

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