ठहरो तुम मेरी मोहब्बत की राहों में
एक साल बाद आई है फिर, तुमसे मिलने की घड़ी
बूंद बूंद कर टपक रही है ओस बनकर दिलो में
तपिश थी तुम्हें पाने की
इंतजार बहुत करवाया तुमने
करार था मिलन का तुमसे
रूबरू हुए दो नयन
पूरी हुई चाहत ठहरो तुम दिसंबर
मेरी मोहब्ब्त की राहों में .......।
No comments:
Post a Comment