पर कुछ तो बात है उनमे की उसके मरीज़ कम नहीं होते
आँखों में इतना नशा है तुम्हारे..
मानो धुएँ के बाज़ार से आयी हो...
बीत जाएगी सारी उम्र इन्हें देखते देखते..
चाहे जितनी भी तन्हाई हो..
मदहोश सा पड़ा हू इनकी गहराईयों मे उतर कर
सम्भाल लेना कहीं इश्क का मरीज़ न हों जाऊँ...
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