हौले हौले जाती थी।
एक सांस में अपने दिल की,
सारी बात सुनाती थी।।
वो मुलाकातें
चांदनी रातें
कितनी अच्छी लगती थीं।
मेरे ख्यालों में
हर पल बस
उसकी यादें सजती थीं।।
कलियों सी
शरमाती थी वो,
फूलों सी
मुस्काती थी।।
चुपके चुपके आती थी वो होले होले जाती थी
कितने अच्छे
दिन थे वो
कितने हसीं
ज़माने थे।
एक नहीं
उनसे मिलने के
संग में लाख बहाने थे।।
मेरी आंखो में
सपनों के
बुझते दीए जलाती थी।।
चुपके चुपके आती थी वो होले होले जाती थी
नियति को
मंजूर नहीं था
चाहत का
दस्तूर नहीं था ।
एक दूजे से
बिछड़ गए हम।
सोचा नहीं
मिल गए इतने गम।।
होके दूर
रुलाती थी वो
आकर पास हंसाती थी।
चुपके चुपके आती थी वो होले होले जाती थी!
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