तुझे ए गुलबदन हम तेरी खुशबू से पहचान लेते हैं
तू जो कहे दिन है तो दिन है तू जो कहे रात है तो रात है
तुझ में कुछ तो बात है जो हम तेरा हर कहा मान लेते हैं
कत्ल भी मेरा हुआ है और इल्ज़ाम भी मुझ ही पर है
क्या ये गुनाह तुमने किया है वो मुर्दों से ये बयान लेते हैं
राहे-हयात में कोई आसानी से गुजर गया कोई फिसल के गिर गया
ये रास्तों के पेचोखम हर कदम मुसाफिर का इम्तिहान लेते हैं
ए जिन्दगी तू अगर मयस्सर होने का वादा करे तो हम
तेरी तलाश में कुछ दिन और दुनियाँ की खाक छान लेते हैं
No comments:
Post a Comment