छूट गया वो सवेरा,छूट गया वो लम्हा
छूट गई वो ख्वाहिशें,छूट गई वो ताज़गी।
छूट गई वो चहक,छूट गई वो महक
छूट गई वो खुशियां,छूट गई है है वह दुनिया।
छूट गई वो शांति,छूट गई वो रौशनी
छूट गया है वो गांव,जहां उजड़ा है वो घर अपना।
शहरों की ज़िंदगी से, गांव की वो लाली है छूट गई।
वक़्त ने बदल दिया,ज़िंदगी का जाम धर दिया।
वो यादें हैं टूट गईं,वह खुशियां है लूट गईं।
उजड़ गया वो चमन,उजड़ गए वो इतिहास के पन्ने।
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