सफ़र कठिन है मगर एक बार आख़िरी बार
- सऊद उस्मानी
तमाम दोस्त अलाव के गिर्द जमा थे और
हर एक अपनी कहानी सुनाने वाला था
- इदरीस बाबर
मैं लौ में लौ हूँ, अलाव में हूँ अलाव 'नदीम'
सो हर चराग़ मिरा ए'तिराफ़ करता रहा
- नदीम भाभा
रौशन अलाव होते ही आया तरंग में
वो क़िस्सा-गो ख़ुद अपने में इक दास्तान था
- अमीर हम्ज़ा साक़िब
सर्द होते हुए वजूद में बस
कुछ नहीं था अलाव आँखें थीं
- सीमा ग़ज़ल
बदन पे पैरहन-ए-ख़ाक के सिवा क्या है
मिरे अलाव में अब राख के सिवा क्या है
- हिमायत अली शाएर
चिंगारियाँ न डाल मिरे दिल के घाव में
मैं ख़ुद ही जल रहा हूँ ग़मों के अलाव में
- सैफ़ ज़ुल्फ़ी
रात चौपाल और अलाव मियाँ
अब कहाँ गाँव का सुभाव मियाँ
- यूसुफ़ तक़ी
फैली है सितम की आग हरसू
हर सम्त अलाव जल रहे हैं
- हफ़ीज़ जौहर
ये भी मुमकिन है कि तुम दूर के लोग
इस अलाव को सितारा समझो
- इदरीस बाबर
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