आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कुछ ग़रज़ उसको ख़ास होगी आज लोगों से,
बेसबब सबको दे रहा है वो कंधा अपना।
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