Thursday, August 24, 2023

ये हैं मेरे आठ पहर

एक पहर खुली आंखों से

सपना तुम्हारा 
अगले पहर यादों की 
झांकियाँ, 
एक पहर शुद्ध लिखता 
जाता तुम्हें 
अगले पहर ढूंढू उसमें 
गलतियाँ। 

एक पहर तुम्हें पढ़कर 
खुश होता 
अगले पहर अपनी तेज धड़कनें 
गिनता मैं, 
एक पहर मन की गहराई में 
ले जाता तुम्हें 
अगले पहर वहीं बसाने तुम्हें 
सोचता मैं। 

ये हैं मेरे आठ पहर 
अब इससे ज्यादा क्या मैं करूं 
क्या तेरी ही याद में लिप्त रहूँ 
या फिर अगले आठ भी ऐसे करूं।। 

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