Friday, August 18, 2023

छेड़ दे तार कोई दिल का

छेड़ दे तार कोई दिल का तराने के लिए

दे सदा इश्क को परवान चढ़ाने के लिए 
साक़िया मयक़दा एक रोज़ हवाले कर दे 
जाम दो जाम ना दे जान जलाने के लिए 
अर्श से नूर भी घबरा के चला आया है 
हुस्न ए नायाब की सौग़ात चुराने के लिए 
पीके मयक़श जो गिरा गिरके संभल कर बोला 
और मिल जाती ज़रा होश में आने के लिए 
दिल के दरबार में casino लगा रखा है 
बेवफा आ ज़रा अब बाज़ी लगाने के लिए 
सिर्फ हम ही नहीं बर्बाद हुए 'तुम भी हुए 
अब कहीं भी रहो तुम खुद को रिझाने के लिए 
आग महफिल को लगा दी ये अलग बात हुई 
ख़ैर मक़्दम है तिरा बज़्म में आने के लिए 

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