छेड़ दे तार कोई दिल का तराने के लिए
दे सदा इश्क को परवान चढ़ाने के लिए
साक़िया मयक़दा एक रोज़ हवाले कर दे
जाम दो जाम ना दे जान जलाने के लिए
अर्श से नूर भी घबरा के चला आया है
हुस्न ए नायाब की सौग़ात चुराने के लिए
पीके मयक़श जो गिरा गिरके संभल कर बोला
और मिल जाती ज़रा होश में आने के लिए
दिल के दरबार में casino लगा रखा है
बेवफा आ ज़रा अब बाज़ी लगाने के लिए
सिर्फ हम ही नहीं बर्बाद हुए 'तुम भी हुए
अब कहीं भी रहो तुम खुद को रिझाने के लिए
आग महफिल को लगा दी ये अलग बात हुई
ख़ैर मक़्दम है तिरा बज़्म में आने के लिए
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