Thursday, August 31, 2023

बे-वजह उम्मीदों को जगाते क्यों हो

 बे-वजह उम्मीदों को जगाते क्यों हो !

गर यकीं नहीं है तो मोहब्बत जताते क्यों हो !!

जब आकर चले जाना फितरत में है तेरी !
तो बे-वजह ज़िन्दगी में आते क्यों हो !!

अपना नहीं सकते जिसे उम्रभर के लिए,
तो ! उसे ज़माने से अपना बताते क्यों हो !!

जिन रिश्तों को समेटना नहीं आता तुम्हें !
उन रिश्तों को फिर आजमाते क्यों हो !!

जब वजह दे नहीं सकते मुस्कुराने की !
तो खामखां इस तरह से रुलाते क्यों हो !!

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