आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जिन्दगी में आकर अप्रतिम स्नेह बरसा कर,
खो न जाना कहीं तुम आसरा बनकर.
कुदरती आबो हवा सा नैसर्गिक तुम्हारा ये प्रेम,
फैलाते रहना पग पग साथ चलकर.
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