तमाम उम्र की ख़ल्वत गवारा कर लेंगे
तुम्हारे बिन भी चलो अब गुज़ारा कर लेंगे
ज़रा सी बात का अफ़सोस और क्या करना
पड़ी है उम्र मोहब्बत दोबारा कर लेंगे
वफ़ा का फ़ैसला कल पर न छोड़ा जाएगा
हिसाब आज ही सारा का सारा कर लेंगे
हमें निकालने की तुम उठाओ मत ज़हमत
तुम्हारी बज़्म से हम ख़ुद किनारा कर लेंगे
तुम्ही में डूबना "" होगी मज़बूरी
अगर हम और तसव्वुर तुम्हारा कर लेंगे
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