कोई चीज़ है जो मुझे तेरी ओर खींचती है।
बांधकर मोहपाश में मुझे तेरी ओर भेजती है।
क्या करूं बचूं कैसे इन माया जालों से
नहीं सो पाया हूं अब तक चैन से कईं सालों से
जब से पाया हूं खुद को दूर तुझसे।
लूट गई जिंदगी की नूर हो जैसे ।
बड़ी कठिन हैं ये इश्क़ की राहें ओ मेरी हमदम
मैं इनपर चल कर तेरे पास आऊं तो आऊं कैसे।
उल्फत में तेरी बेखुदी सा आलम है ।
मेरे पल पल हर पल में सिर्फ़ तू हीं शामिल है।
शबनमी सुब्हों में भी तुझ बिन बेरंग सी हो गई जिंदगी
तन्हा उदास बेज़ार सी हो गई जिंदगी ।
बस करता फिरूं सिर्फ़ तेरी बंदगी
इस क़दर बन गई तू मेरी जिंदगी।
जब तू बनकर मेहर खुदा की इस दिल की
मेहरम बन गई ..
पलक झपकते हीं दिल तोड़ कर ना जाने
कहां खो गई...
पर तेरी सुनहरी यादें वस्ल की हैं ईनायत मुझ पर ।
है यें करम खुदा का , की है तेरी रवायत मुझ पर।
पर ये हुआ क्यों कि छोड़ कर दमन मेरा किसी और की महफ़िल में खो गई क्यूं तू ...
जब तेरा आना भी तेरी मर्ज़ी थी
मेरे दिल को लुभाना भी तेरी मर्ज़ी थी।
ख़ैर मैं तो अंततः यहीं कहूंगा कि...
तू गई इसका गम तो ज़रूर है मुझको
पर तू अपनी यादें अपने साथ ना ले गई
इसका मलाल भी है मुझको।
कर रहम ओ मेरी जन्नत मेरी मेहरम
बस है यही तुझसे इल्तेज़ा मिन्नत
कि इस बार भी तू कर इतना एहसान
तेरी यादों ने मुझे कर रक्खा है परेशान
कि तू जहां है वहीं तेरी यादें भी
चली जायें ...
जैसे तू भूल गई मुझको
ठीक वैसे ही तेरी यादें
तेरी अनगिनत बातें मुझे कभी भी
ना याद आयें।
तू और तेरी यादों कभी भी ना अlयें
ना मुझे तड़पाएं ना फिर कभी मुझे सतायें।
तू और तेरी यादें कभी भी ना आये..
तू और तेरी यादें कभी भी ना आयें ...
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