आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
शुक्रिया तुम्हारा ए दोस्त जो तुम ऐसे ठुकरा गए
मुश्किल थी जो पहेली बुझाना उसे तुम सुलझा गए.
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