इस दौर में मतलबी ज़माना है बहुत
अपनों को हमने पहचाना है बहुत
साकी तेरे मयखाने से हमें क्या लेना
हमें तेरी आंखों का पैमाना है बहुत
खुशी हमारे दर पे ठहरती ही नहीं
मगर ग़म से हमारा याराना है बहुत
चेहरों पे लोगों ने हंसी ओढ़ रक्खी है
मगर दिल सबका ही वीराना है बहुत
जीना है गर चैन से तो दूरियां रक्खो
अपना खून भी कातिलाना है बहुत
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