अब सिर्फ एक नींद की तमन्ना है,
होश में तो बेहोश रहता हूँ।
ये तालिया सिफारिश है हाथो की,
तुम्हारी जीत को ही अपनी जीत समझता हूँ ।
ये कदमो की खड़खड़ाहट तुम्हारे कदमों की याद दिलाती है,
मैं तुम बिन ही तुम संग बड़बड़ाता हूँ।
ये फूलों को खिलते देख रूह को सुकूँ मिलता है,
ये तो मिथ्य है कि फूल अकेले खिलता है।
तुम बिन तो वरक भी अटॅक डालता है,
तुम बिन तो लकीरो में भी अदन झांकता है।
में कोरा पृष्ठ हूँ तुम सुन्दर कलम,
ग़ालिबन इसलिए सूर्य भी बदलो के पीछै छिपकर ताकता है ।
हम तो खुद में ही मग्न है किसी की जरुरत कहा ,
मुझे यूं न ढूंढो ये मंद सर्द हवाओ को एहसास करो
ये हवाएं है जहाँ में हूँ वहां।
आँखे छुपाकर देखने की हमारी आदत पुरानी है,
जो तुम्हारी आँखों से मेरी खातिर बहता है वो गंगा सा पवित्र पानी है।
ये दास्ता पुरानी है
ईश्क़ न जाती, धर्म ,उम्र का आदि है
ये इश्क़ तो सर्वज्ञ दानी है।
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