जीवन का यह अंजाम चाहिए मुझे
तुझ संग फुरसतों की एक शाम चाहिए मुझे.
मेरे न होने से बेचैन रहो तुम
इश्क मेँ ऐसा मुकाम चाहिए मुझे.
तुम से मांगने का बहुत मन था
इन निगाहों का इनाम चाहिए मुझे.
कहने लगो दीवाना पागल मुझे तुम
सर पर अपने यह इल्जाम चाहिए मुझे.
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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