Friday, August 18, 2023

कोई लम्हा नही चाहेगा, दूर तुम जाओ

ज़ेहन की गलियों भटककर, उसी में  गुम जाओ

कोई    लम्हा   नही   चाहेगा,  दूर    तुम   जाओ 

कौन- सी   बात   पे, राहों    की     हुई  पैमाइश 
इधर   से गुजरूं  अकेला मैं, उधर   तुम  जाओ 

जहाँ   लिखा   हो,   तेरे  बिन  कदम  बढ़ेंगे   मेरे 
हाथ  की   ऐसी   लकीरों  को, छोड़  कर  आओ 

अधूरेपन    की     कहानी,   उसे   समझ    लेना 
कतरनों   में,  जो   मुकम्मल    लिबास को पाओ 

जिसको सुन  करके, सभी को सुकून  मिलता हो 
ऐसी   बातों   को   भी,    बेबात  कभी  दोहराओ

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