आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कल मैंने उसको जब काम करते देखा
जिंदगी को उसे अपने नाम करते देखा
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