Friday, July 28, 2023

वो अँधेरे ही भले थे कि कदम राह पर थे

वो अँधेरे ही भले थे कि कदम राह पर थे,

रोशनी ले आई मुझे मंजिल से बहुत दूर।

….

​मैं पा नहीं सका इस कशमकश से छुटकारा​, तू मुझे जीत भी सकता था मगर ​हारा क्यूँ​।

…. न हाथ थाम सके और न पकड़ सके दामन, बहुत ही क़रीब से गुज़र कर बिछड़ गया कोई।

…. शिकायतें भी थी उसे तो मेरे ख़ुलूस से, अजीब था वो शख्स मेरी आदतें ना समझ सका।

…. ले लो वापस वो आँसू वो तड़प वो यादें सारी, नहीं कोई जुर्म हमारा तो फिर ये सजाएं कैसी।

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