Monday, July 10, 2023

उम्र भर उस ने इसी तरह लुभाया है मुझे

उम्र भर उस ने इसी तरह लुभाया है मुझे

वो जो इस दश्त के उस पार से लाया है मुझे 

कितने आईनों में इक अक्स दिखाया है मुझे 
ज़िंदगी ने जो अकेला कभी पाया है मुझे 

तू मिरा कुफ़्र भी है तू मिरा ईमान भी है 
तू ने लूटा है मुझे तू ने बसाया है मुझे 

मैं तुझे याद भी करता हूँ तो जल उठता हूँ 
तू ने किस दर्द के सहरा में गँवाया है मुझे 

तू वो मोती कि समुंदर में भी शो'ला-ज़न था 
मैं वो आँसू कि सर-ए-ख़ाक गिराया है मुझे 

इतनी ख़ामोश है शब लोग डरे जाते हैं 
और मैं सोचता हूँ किस ने बुलाया है मुझे 

मेरी पहचान तो मुश्किल थी मगर यारों ने 
ज़ख़्म अपने जो कुरेदे हैं तो पाया है मुझे 

वाइज़-ए-शहर के नारों से तो क्या खुलती आँख 
ख़ुद मिरे ख़्वाब की हैबत ने जगाया है मुझे 

ऐ ख़ुदा अब तिरे फ़िरदौस पे मेरा हक़ है 
तू ने इस दौर के दोज़ख़ में जलाया है मुझे 

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