Monday, July 10, 2023

जूते की अभिलाषा

चाह नहीं मैं विश्व सुंदरी के पग में पहना जाऊं,

चाह नहीं दूल्हे के पग में रहसाली को ललचाऊँ,

चाह नहीं धनिकों के चरणों में हे हरि डाला जाऊँ,

चाह नहीं कालीन पे घूमूंभाग्य पर इठलाऊँ.

बस निकाल कर मुझे पैर से,

उस मुँह पर देना तुम फेंक,

जिस मुँह से निकल रहे हों,

भारत विरोधी शब्द अनेक.

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