चलो विदा हम लेते हैं, सबको अलविदा कहते हैं।
हो गयी अठखेलियाँ ख़तम अब, हम भी अपनी राह सांजेते हैं।
चलो विदा हम लेते हैं, सबको अलविदा कहते हैं,।
तुम्हारा यूँ बिछड़ना हमें यूँ गवारा तो नहीं,
तुमसे दूर जाना भी कोई ये अदाकारा तो नही,
कोन खोना चाहता है ऐसी महफिल को भला,
लेकिन हर कोई यहाँ नाकारा तो नहीं।।
निकल गए ये दिन भी तुमसे हंसी ठिठोली में,
संजोये हुए लम्हों को साथ लेकर झोली में
आयेंगे फिर से हम वही टोली में,
सबके हिस्से का चाय का प्याला रखेंगे ,
गुजरी बातों का थोड़ा सा निवाला रखेंगे ,
अच्छा तो अपने दिल का अब हर मुद्दा हम कहते हैं,,,
चलो विदा हम लेते हैं, सबको अलविदा कहते हैं।।
क्या बताएं कि अब कैसे हमारी रातें कटेंगी,
शामें रहेंगी उदास, और बस तन्हाई बटेंगी,
अलसुबह होगी खाली खाली, एक मायूस खामोशी लौटेगी,
वीरानीयों के आलम को आओ अब हम समेटते हैं,
चलो विदा हम लेते हैं, सबको अलविदा कहते हैं,।
खत्म हुआ ये समय, फिर एक और दौर लायेंगे,
आसमां के चाँद तारे, सब तोड़ ले आयेंगे,
ये सिर्फ़ खास रहा तो, उसको खासम खास बनाएंगे
दुआओं में याद रखिये, खुदा हाफिज अब कहते हैं।
चलो विदा हम लेते हैं, सबको अलविदा कहते हैं।
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