Thursday, July 27, 2023

अभी तुमसे बहुत कुछ सीखना था मुझे शायद प्रेम करना भी

अभी तुमसे बहुत कुछ सीखना है मुझे,

हाँ प्रेम करना भी.

बहुत दूर तलक तुम्हारे साथ चलना है,

तुम्हारा हाथ को थामकर, 

तुम्हें साथ लेकर.

….


अभी तुमसे बहुत कुछ सीखना था मुझे

शायद प्रेम करना भी 

कुछ दूर तक तो तुम्हारे साथ चलना ही था 
पर तुमने, बस, पहला सबक बताकर 
झटके से उँगली छुड़ा ली 

अपने प्रथम प्रेम की अनगढ़ स्मृति से 
जब तुम्हारी उदास आँखों में शर्म भरी मुस्कुराहट ढरकती 
तो धरती पर एक अजोर उगता था 
वो अन्धेरे से लड़ने की बेहिसाब रसद होती थी 

एक निस्पृह अनुराग से चेहरे पर जो गहरी हरीतिमा उतरती थी 
उससे का दुनिया एक हिस्सा तो हरा हो ही सकता था 

मुझे जानने थे, मेरी जान! उन दिनों के रंग कितने चटख़ थे 
जहाँ पीड़ा का इतिहास था, पर तुम्हें हँसा देने की कूवत भी वहीं थी 
तुम्हारे सारे अनुभवों से अपना पहला प्रेम समृद्ध करना था मुझे। 

तुमसे जानना था प्रेम की उन मूलभूत जरूरतों को 
जिनके बिना एक दिन प्रेम मर जाता है। 

तुमसे सीखना था - असंग प्रेम में हंसकर विष पीना, 
नहीं तो, प्रेम ही विष बन जाता है 

अब ये है कि तुम जाने कहाँ हो तो मैंने अपने शिकायती पत्रों को फाड़ दिया और तुम्हें ढूँढ़ती हूँ 
तुमसे मिलकर बताना था कि तुमने मुझे बचा लिया मेरे मन की सबसे बड़ी त्रासदी से 
मैं तो सोचकर काँप जाती हूँ 
उस पल को, जब तुम्हारे लिए मेरा प्रेम नष्ट हो जाता, 
शायद तब जीने का मोह भी ख़त्म हो जाता । 

तुमने एक शाश्वत प्रेम को 
कालान्तर की कुरूपता से बचा लिया 
जहाँ लड़ाई की बहसें दो आत्माओं के एकान्त में उलझ जातीं 
जहाँ पीड़ा की चुप्पियाँ शोक की रुलाई के लिए तरस जातीं 

पर, पल भर तुम्हें और रुकना था ना, 
तुम्हें आँख-भर देखना था। 
जल्दबाज़ी में मैं शुक्रिया भी न कह पाई। 
और तुमने अलविदा कह दिया। 

रूपम मिश्र


No comments: