Monday, April 27, 2020

मिट्टी की ये भीनी भीनी खुश्बू

मिट्टी की ये भीनी भीनी खुश्बू
लगता है तेरे पास से होकर आई हैं।

मेरा आँचल उड़ाती ये तेज़ हवाएँ
जैसे तेरी सांसो से गुजरकर आई है।

कभी देखा है अप्रैल में भी बारिश हो रही है
ज्यों अक्षुण्ण प्रेम का सन्देश बरसा रही है।

ये बादल तेरे पास से ही होकर आये होंगे
तेरे ही जैसे ये चाँद भी बदलो में छिपा है।

माह पवन है रमजान का अक्षय तृतीय दिन
अक्षय हो प्रेम हमारा ऎसे ही मांगू यही इस दिन।

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