Thursday, December 11, 2025

मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित


मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित

चाहता हूँ देश की धरती तुझे अभी कुछ और भी दूँ

माँ तुम्हारा ऋण बहुत है मैं अकिंचन
किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब
स्वीकार कर लेना दयाकर यह समर्पण
गान अर्पित प्राण अर्पित रक्त का कण-कण समर्पित

माँज दो तलवार को लाओ न देरी
बाँध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी
भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी
शीष पर आशीष की छाया घनेरी
स्वप्न अर्पित प्रश्न अर्पित आयु का क्षण-क्षण समर्पित

तोड़ता हूँ मोह का बन्धन क्षमा दो
गाँव मेरा द्वार घर आँगन क्षमा दो
आज सीधे हाथ में तलवार दे दो
और बाएँ हाथ में ध्वज को थमा दो
ये सुमन लो ये चमन लो नीड़ का तृण-तृण समर्पित.

- रामावतार त्यागी