Sunday, April 28, 2019

यादों का कारोबार

बहुत मुश्किल से करता हूँ,
तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम है,
पर गुज़ारा हो ही जाता है!

गुलज़ार

बरगद के दरख़्त

हम भी बरगद के दरख़्तों की तरह हैं,
जहाँ दिल लग जाए ताउम्र खड़े रहते हैं!

एक मुद्दत से

Aik muddat se teri yaad bhi aayi nahin humein,
Aur hum bhool gaye ho’n tujhe aisa bhi nahin!

हम वो हैं

दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़ है हर वक़्त,
हम वो हैं कि कुछ मुंह से निकलने नहीं देते।।

मैं न हूँगा

मैं न हूँगा तो ख़िज़ाँ कैसे कटेगी तेरी
शोख़ पत्ते ने कहा शाख़ से मुरझाते हुए

~गुलज़ार

X माँग के देखेंगे

Sunte hain, k mil jaati hai, har cheez dua se,
Ek roz tumhe maang ke dekhenge khuda se..

X राख न हुए

Roz jale  phir bhi qaak na hue
Ajeeb hai kuch khwab bhi
Bhuz kar bhi raaq na hue.

प्यारा सपना

"सबसे प्यारा सपना लिख दूँ,
आज तुझे मैं अपना लिख दूँ !"

और दिल तुम्हारा गया

हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका!
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया,

हज़ारों गुलाब

वो मुस्कुरा के मोहब्बत से जब भी मिलते हैं,
मेरी नज़र में हज़ारों गुलाब खिलते हैं!

उनके लबों की तबस्सुम देती हैं सुकून मुझको,
मिलते हैं जब वो मिलती हैं खुशियाँ मुझको!

Saturday, April 27, 2019

हार कहाँ मानती है

दवा गर काम ना आये तो,
नजर भी उतारती है,
ये माँ है साहब,
हार कंहा मानती है!

गुलजार

शिकायतें बहुत

यू तो ए जिंदगी,
तेरे सफ़र से शिकायते बहुत थी,
मगर जब दर्द दर्ज कराने पँहुचे,
तो कतारे बहुत थी!

गुलजार

तुम हम

कुछ तुम कोरे कोरे से,
कुछ हम सादे सादे से!
एक आसमां पर जैसे,
दो चांद आधे आधे से!

Friday, April 26, 2019

अजब हाल है उनका!

इजहार-ए-मोहब्बत पे,
अजब हाल है उनका!
आँखें तो रजामंद है,
लब सोच रहे है!

Thursday, April 25, 2019

तेरे दिल की तू जाने

कलम से लिख नहीं सकते दिल के अफ़साने,
मुझे तुमसे मोहब्ब्त है तेरे दिल की अब तू जाने!

लौटाएँगे हम उन्हें

जिसने कतरे भर का भी किया है एहसान हम पर,
वक़्त ने मौका दिया तो दरिया लौटाएँगे हम उन्हें!

कैसे उड़ते हैं

प्यार की तितलियां देखो कैसे उड़ती है।
हर बार ये सिर्फ तुम्हारी तरफ ही मुड़ती है।।

इश्क़ के भँवरें देखो कैसे उड़ते है।
हर बार ये सिर्फ तुम्हारी तरफ ही मुड़ती है।।

Wednesday, April 24, 2019

ऐसा क्या हुआ

हैरान हूँ तेरा इबादत में झुका सर देखकर,
ऐसा भी क्या हुआ जो खुदा याद आ गया।

Tuesday, April 23, 2019

कब तक

आईना कब तक बनाओगी मुझको,
खुदसे कब मिलवाओगी मुझको!
अपने हाथ का कंगन समझ रखी हो क्या,
आखिर कब तक घुमाओगी मुझको !!

आप भी आ जाइए जरा

बारिश के मौसम में गजल क्या,
बनाई है गौर फ़रमाइए जरा!
बूँद चेहरे पर झर झर आ रही है ,
अब आप भी आ जाइए जरा!

जीत लिया दिल को

एक तबस्सुम में  जीत लिया दिल को,
इतना दिलकश मुस्कुराते हैं वो!

Monday, April 22, 2019

आप भी आ जाइए जरा

बारिश के मौसम में गजल क्या,
बनाई है गौर फ़रमाइए जरा!
बूँद चेहरे पर झर झर आ रही है ,
अब आप भी आ जाइए जरा!

तेरी कमी

सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह
उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह!

इस क़दर भी न चाहो

अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए,
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए!

मेरे बाद भी

बदला न मेरे बाद भी मौजू-ए-गुफ़्तगू,
मैं जा चुका हूँ फिर भी तेरी महफ़िलों में हूँ!

याद फ़रमाया गया हूँ

अब हिचकियाँ आने लगी हैं,
कहीं मैं याद फ़रमाया गया हूँ.

हम भी निकल पड़े

जब पेशानि पर तेरे नाम के ‘बल’ पड़े,
फिर तेरी तलाश में हम भी निकल’ पड़े,
.
जिस तरह सहा है हमने तेरी बेरुख़ी को,
यूँ कोई दूसरा सहे तो दिल ‘दहल’ पड़े,
.
ज़रा चुपके से देना मेरे हाथो में हाथ सनम,
कही देख कर उफान पे फ़रिश्ते ना ‘जल’ पड़े”!

उल्फत बदल गई

उल्फ़त बदल गई, कभी नीयत बदल गई,
खुदगर्ज़ जब हुए, तो फिर सीरत बदल गई,

अपना कसूर दूसरों के सर पर डाल कर,
कुछ लोग सोचते हैं हक़ीक़त बदल गई !!

गर दिल में मजा हो

उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो,
हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो!

Sunday, April 21, 2019

मज़ा क्या है

उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का
हमीं दिन-रात अगर तड़पे तो फिर इस में मज़ा क्या है

शिद्दत

ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही

गुमान था

हमें था गुमान के चाहा बहुत ज़माने ने हमें,
हम अज़ीज़ सबको थे मगर ज़रूरत के लिए!

शिद्दत

ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही

मज़ा क्या है

उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का
हमीं दिन-रात अगर तड़पे तो फिर इस में मज़ा क्या है

ना जिद ना ख्वाब

तुझे पाने की ज़िद थी
अब भुलाने का
ख़्वाब हैं
ना ज़िद पूरी हुई
ना ख़्वाब

गुमान था

हमें था गुमान के चाहा बहुत ज़माने ने हमें,
हम अज़ीज़ सबको थे मगर ज़रूरत के लिए!

कि दम निकल जाये

अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए,
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए!

Kitna guroor tha

Sham e Firaq Ayi toh Dil Doobney laaga//
Humko bhi apne Aap per kitna gharoor thaa

Ruswa nahi

Ranj-e-firaaq-e-yaar mein ruswa nahi hua... 'Itna' main chuup hua ke tamasha nahi hua!

जीत लिया दिल

जीत लिया है दिल मेरा तेरे दिल की सच्चाई ने,
कुछ तो राज़ छुपा है तेरे दिल की गहराई में!

रोना आया

ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया

यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

शकील बदायूंनी

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया।

Saturday, April 20, 2019

डरते हैं

जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं
ज़हर पीकर दवा से डरते हैं

ज़ाहिदों को किसी का ख़ौफ़ नहीं
सिर्फ़ काली घटा से डरते हैं

दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं

-शकील बदायूंनी

Friday, April 19, 2019

लाजमी

मिजाज में थोड़ी सख्ती लाजमी है ऐ दोस्त,
लोग पी जाते, अगर समन्दर खारा ना होता!

Thursday, April 18, 2019

तन्हा नहीं होता

चलते रहेंगें काफिले मेरे बगैर भी यहा,
एक सितारा टूट जाये तो फ़लक तन्हा नही होता!

चिरागों का सफर

रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी,
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है!

झूठे चिराग

इस जश्न-ए-चराग़ाँ से तो बेहतर थे अँधेरे,
इन झूटे चराग़ों को बुझा क्यूँ नहीं देते!

गँवाते चले गए

बेहतर दिनों की आस लगाते हुए 'ऐ दोस्त',
हम बेहतरीन दिन भी गँवाते चले गए!

इश्क़ में वफ़ा की आस लगाए हुए,
ताउम्र हम धोखे पे धोखे खाते चले गए!

Tuesday, April 16, 2019

रोशनी तुम में रहे

आओ आपस में कर लें, तूर कि बिजली तकसीन,
रोशनी तुम में रहे और तड़प हम में रहे!

तूर - आसमान
तकसीन - बाँटना

चेहरे पे नकाब


लहजे मे बदजूबानी,
चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं!
जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े हैं,
वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं!

Monday, April 15, 2019

मुझसे दूर

वो मेरे साथ थे,
पर मुझसे दूर थे!
मेरे होकर भी,
शायद मजबूर थे!

हर एक गम

प्यास बुझ जाए तो शबनम खरीद सकता हूं,
ज़ख़्म मिल जाए तो मरहम खरीद सकता हूं।

ये  मानता  हूं  मैं,  दौलत   नहीं  कमा  पाया,
मगर तुम्हारा  हर  एक गम खरीद सकता हूं।

जीने का हक

हमारा अज़्म-ए-सफ़र कब किधर का हो जाए,
ये वो नहीं जो किसी रहगुज़र का हो जाए!

उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में,
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए!

जीने का हक

हमारा अज़्म-ए-सफ़र कब किधर का हो जाए,
ये वो नहीं जो किसी रहगुज़र का हो जाए!

उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में,
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए!

फासले

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था!

फासले

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था!

तोहमत

साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद,
मुझ को तेरी निगाह का इल्ज़ाम चाहिए!

दुनिया, बेकार का रोना

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है,
मिल जाये तो मिट्टी है खो जाये तो सोना है!

अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम,
हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है!

तोहमत

साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद,
मुझ को तेरी निगाह का इल्ज़ाम चाहिए!

फासले

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था!

हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं

इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़,
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं!

ये मुमकिन नहीं की सब लोग ही बदल जाते हैं,
कुछ हालात के सांचों में भी ढल जाते हैं!

Saturday, April 13, 2019

इत्तिफाक, नसीब, मेरा रकीब

मिलना था इत्तिफाक, बिछड़ना नसीब था,
मैं उस से उतना ही दूर हो गया, जितना करीब था!
मैं उस शख्स को देखने को तरसता रहा गया,
जिसने छीनी मेरी मोहब्बत, वो मेरा रकीब था!!

इक

इक ख़्वाब मुजस्सम होने से वीरान हुआ,
इक जुगनू हाथ में आया,तो बेजान हुआ।
इक पेड़ पे आए फल,तो परिंदे लौट आए,
इक शख़्स का बचपन बीता तो अन्जान हुआ।
इक देखने वाला देख चुका जब आँखों में,
फिर दिल में अनदेखे का हर मेहमान हुआ।

इक़ ख़्वाब से जैसे सौ ताबीरें निकली हों,
इक चेहरा कितने चेहरों की पहचान हुआ।

मुजस्सम=साकार
ईज़ाद=खोज
हिजरत=सफ़र
सोग=दु:ख

रो-रो कर हलकान

वो एक सफ़र ईज़ाद का था,या हिजरत थी,
जो रस्ता शहर से निकला,इक मैदान हुआ।
मैं राख़ हुआ तो सोग की कोई बात नहीं,
उस ख़ाक़ पे मेरे वस्ल का दिन आसान हुआ।
वो शख़्स कि मेरे नाम से जिसको नफ़रत थी,
मैं छोड़ आया तो रो-रो कर हलकान हुआ।

Thursday, April 11, 2019

तुम

मिल रही हो तुम,
न खो रही हो तुम,
दिन ब दिन बेहद,
दिलचस्प हो रही हो तुम!

उम्र से कई साल बड़ा

वक़्त से पहले हादसों से लड़ा हूँ,
मैं अपनी उम्र से कई साल बड़ा हूँ!

सब पराए थे

जितने अपने थे सब पराए थे,
हम हवा को गले लगाए थे!
एक बंजर ज़मीन के सीने पर,
मैंने कुछ आसमान उगाए थे!

-राहत इंडोरी

Friday, April 5, 2019

बाहों का सहारा

मुझको फिर वही सुहाना नजारा मिल गया,
इन आँखों को दीदार तुम्हारा मिल गया,
अब किसी और की तमन्ना क्यूँ मैं करूँ,
जब मुझे तुम्हारी बाहों का सहारा मिल गया।

Wednesday, April 3, 2019

फासलों का एहसास

फासलों का एहसास तब हुआ, 
जब मैंने कहा ठीक हूँ और उन्होने मान लिया!

...

...

अदाएं

यूं अदाएं न बिखेरिए मौसम-ए-बहार में,

सूखे दरख़्त भी खिल उठेंगे हुस्न-ए-बयार में!

चमन तक आ गए

आरजू जिनकी है, उनकी अंजुमन तक आ गए,

निखत ऐ गुल के सहारे हम चमन तक आ गए!

 

मेरे हौसलें

रोज गिर कर भी मुकम्मल खड़े हैं,
ऎ ज़िंदगी देख मेरे हौसलें तुझसे भी बड़े हैं।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।।

~कबीर

अर्थ :- बड़े होने का यह अर्थ नहीं कि उससे किसी का भला हो। जैसे खजूर का पेड़ बहुत बड़ा होता है पर छायादार नहीं होता है, और न उसका फल बहुत दूर लगने के कारण आसानी से तोड़ा जा सकता।

होठों का तकल्लुफ

हमसे तो बस नज़रों से बातें कीजिये,
ये होठों का तकल्लुफ तो दुनिया के लिए है।

आईना हैरत में

हर वक़्त नया चेहरा, हर वक़्त नया वजूद,
आदमी ने आईने को, हैरत में डाल दिया है।


 

समझता कौन है?

ज़ाया ना कर अपने अल्फ़ाज़ हर किसी के लिये,
बस ख़ामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है!

>>जो दिल की बात समझ ले फ़क़त निगाहों से,
     तमाम शहर में ऐसी कोई नज़र भी है ।

 

मुश्किल रात


इस दर्द की अब इन्तहाँ होनी चाहिए,
मुश्किल गुजरी है रात, अब सुबह होनी चाहिए!

दर्द का सबब

हो सके तो पहचान लो,
मेरे दर्द का सबब मेरी नजर से!
मैं जुबान से कहुँगा तो,
कुछ लोग रुसवा हो जायेंगे!

याद भुलाने से

दिल आबाद कहाँ रह पाएगा तेरी याद भुला देने से,
कमरा वीराँ हो जाता है इक तस्वीर हटा देने से!

Tuesday, April 2, 2019

इश्क़ हो जाएगा

मौसम-ए-इश्क़ है ये जरा,
खुश्क हो जाएगा!
ना उलझा करो हम से,
वरना इश्क़ हो जाएगा!

Monday, April 1, 2019

Xx

*"इस फ़रेबी दुनिया में"*
*"मुझे दुनियादारी नही आती"*

*"झूठ को सच साबित करने की"*
*"मुझे कलाकारी नही आती"*
*"जिसमें सिर्फ मेरा हित हो"*
*"मुझे वो समझदारी नही आती"*

*"शायद मैं इसीलिए पीछे हूं"*
*"मुझे होशियारी नही आती"*

*"बेशक लोग ना समझे मेरी वफादारी"*
*"मगर 'यारो मुझे गद्दारी नही आती"...*