Sunday, April 19, 2020

लोग नज़रों को भी पढ़ लेते हैं

लोग नज़रों को भी पढ़ लेते हैं
अपनी आंखों को झुकाए रखना
- अख़्तर होशियारपुरी

अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
- साहिर लुधियानवी

देखा तो सब के सर पे गुनाहों का बोझ था
ख़ुश थे तमाम नेकियाँ दरिया में डाल कर
- मोहम्मद अल्वी

मिरी शराब की तौबा पे जा न ऐ वाइज़
नशे की बात नहीं ए'तिबार के क़ाबिल
- हफ़ीज़ जौनपुरी

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