इक शरह-ए-हयात हो गई है
- फ़िराक़ गोरखपुरी
बहुत बेबाक आंखों में तआल्लुक टिक नहीं पाता
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी है
- वसीम बरेलवी
आँख रहज़न नहीं तो फिर क्या है
लूट लेती है क़ाफ़िला दिल का
- जलील मानिकपूरी
मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूं
एक जंगल है तेरी आंखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूं..
- दुष्यंत कुमार
अब तक मेरी यादों से मिटाए नहीं मिटता
भीगी हुई इक शाम का मंज़र तेरी आंखें
- मोहसिन नक़वी
उन आंखों में डाल कर जब आंखें उस रात
मैं डूबा तो मिल गए डूबे हुए जहाज़
- अमीक़ हनफ़ी
उन मद-भरी आंखों की तारीफ़ हो क्या ज़ाहिद
देखो तो हैं दो साग़र समझो तो हैं मय-ख़ाना
- दुआ डबाईवी
एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुमने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना
-मुनव्वर राणा
इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं
- अब्दुल हमीद अदम
लड़ने को दिल जो चाहे तो आँखें लड़ाइए
हो जंग भी अगर तो मज़ेदार जंग हो
- लाला माधव राम जौहर
जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं
- अब्दुल हमीद अदम
आँखें न जीने देंगी तिरी बे-वफ़ा मुझे
क्यूँ खिड़कियों से झाँक रही है क़ज़ा मुझे
- इमदाद अली बहर
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