Wednesday, April 22, 2020

आँख शायरी

आँखों में जो बात हो गई है
इक शरह-ए-हयात हो गई है
- फ़िराक़ गोरखपुरी

बहुत बेबाक आंखों में तआल्लुक टिक नहीं पाता 
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी है 
- वसीम बरेलवी 

आँख रहज़न नहीं तो फिर क्या है
लूट लेती है क़ाफ़िला दिल का
- जलील मानिकपूरी

 मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूं
 एक जंगल है तेरी आंखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूं..
 - दुष्यंत कुमार  

अब तक मेरी यादों से मिटाए नहीं मिटता
भीगी हुई इक शाम का मंज़र तेरी आंखें
 - मोहसिन नक़वी

उन आंखों में डाल कर जब आंखें उस रात
मैं डूबा तो मिल गए डूबे हुए जहाज़
 - अमीक़ हनफ़ी
 
उन मद-भरी आंखों की तारीफ़ हो क्या ज़ाहिद
देखो तो हैं दो साग़र समझो तो हैं मय-ख़ाना
- दुआ डबाईवी

एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुमने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना
-मुनव्वर राणा

इक हसीं आँख के इशारे पर 
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं 
- अब्दुल हमीद अदम

लड़ने को दिल जो चाहे तो आँखें लड़ाइए 
हो जंग भी अगर तो मज़ेदार जंग हो 
- लाला माधव राम जौहर

जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं 
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं 
- अब्दुल हमीद अदम

आँखें न जीने देंगी तिरी बे-वफ़ा मुझे 
क्यूँ खिड़कियों से झाँक रही है क़ज़ा मुझे 
- इमदाद अली बहर

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