Sunday, April 19, 2020

खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है

दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो 
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो 
- जाफ़र मलीहाबादी

सीख ले फूलों से गाफिल मुद्दआ-ए-जिंदगी
खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है
-असर लखनवी 
 

आसमानों से बरसता है अंधेरा कैसा 
अपनी पलकों पे लिए जश्ने-चिरागां चलिए 
-अली सरदार जाफरी 

ख़ारिज इंसानियत से उस को समझो
इंसाँ का अगर नहीं है हमदर्द इंसान
- तिलोकचंद महरूम
 
धूप में प्यासे को पानी, शब को रस्ते में चिराग 
जाने वाले लोग कितने साहिबे-किरदार थे 
-शेख परवेज आरिफ 

ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है 
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है 
- चरण सिंह बशर
इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए 
जिस का हम-साए के आँगन में भी साया जाए 
- ज़फर ज़ैदी

अहल-ए-हुनर के दिल में धड़कते हैं सब के दिल 
सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है 
-फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली
मिरे सेहन पर खुला आसमान रहे कि मैं 
उसे धूप छाँव में बाँटना नहीं चाहता 
- ख़ावर एजाज़

हमारे ग़म तुम्हारे ग़म बराबर हैं 
सो इस निस्बत से तुम और हम बराबर हैं 
- अज्ञात

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