निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो
- जाफ़र मलीहाबादी
सीख ले फूलों से गाफिल मुद्दआ-ए-जिंदगी
खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है
-असर लखनवी
आसमानों से बरसता है अंधेरा कैसा
अपनी पलकों पे लिए जश्ने-चिरागां चलिए
-अली सरदार जाफरी
ख़ारिज इंसानियत से उस को समझो
इंसाँ का अगर नहीं है हमदर्द इंसान
- तिलोकचंद महरूम
धूप में प्यासे को पानी, शब को रस्ते में चिराग
जाने वाले लोग कितने साहिबे-किरदार थे
-शेख परवेज आरिफ
ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है
- चरण सिंह बशर
इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए
जिस का हम-साए के आँगन में भी साया जाए
- ज़फर ज़ैदी
अहल-ए-हुनर के दिल में धड़कते हैं सब के दिल
सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है
-फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली
मिरे सेहन पर खुला आसमान रहे कि मैं
उसे धूप छाँव में बाँटना नहीं चाहता
- ख़ावर एजाज़
हमारे ग़म तुम्हारे ग़म बराबर हैं
सो इस निस्बत से तुम और हम बराबर हैं
- अज्ञात
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