Friday, April 17, 2020

अब वक़्त जो आने वाला है किस तरह गुज़रने वाला है.

अब वक़्त जो आने वाला है किस तरह गुज़रनेवाला है
वो शक्ल तो कब से ओझल है ये ज़ख़्म भी भरनेवाला है
दुनिया से बग़ावत करने की उस शख़्स से उम्मीदें कैसी
दुनिया के लिए जो ज़िन्दा है दुनिया से जो डरने वाला है

आदम की तरह आदम से मिले कुछ अच्छे-सच्चे काम करे
ये इल्म अगर हो इंसा को कब कैसे मरने वाला है
दरिया के किनारे पर इतनी ये भीड़ यही सुनकर आई
इक चांद बिना पैराहन के पानी में उतरने वाला है.
दोस्त अहबाब की नज़रों में बुरा हो गया मैं...
दोस्त अहबाब की नज़रों में बुरा हो गया मैं
वक़्त की बात है क्या होना था, क्या हो गया मैं.
दिल के दरवाज़े को वा रखने की आदत थी मुझे
याद आता नहीं कब किससे जुदा हो गया मैं.
कैसे तू सुनता बड़ा शोर था सन्नाटों का
दूर से आती हुई ऎसी सदा हो गया मैं.
क्या सबब इसका था, ख़ुद मुझ को भी मालूम नहीं
रात ख़ुश आ गई, और दिन से ख़फ़ा हो गया मैं.
भूले-बिसरे हुए लोगों में कशिश अब भी है
उनका ज़िक्र आया कि फिर नग़्मासरा हो गया मैं.
अर्थ :
वा=खुला
अहबाब= मित्र, दोस्त, प्रिय जन



बुझने के बाद जलना गवारा नहीं किया...
बुझने के बाद जलना गवारा नहीं किया,
हमने कोई भी काम दोबारा नहीं किया.
अच्छा है कोई पूछने वाला नहीं है यह
दुनिया ने क्यों ख़याल हमारा नहीं किया.
जीने की लत पड़ी नहीं शायद इसीलिए
झूठी तसल्लियों पे गुज़ारा नहीं किया.
यह सच अगर नहीं तो बहुत झूठ भी नहीं
तुझको भुला के कोई ख़सारा नहीं किया.
ख़सारा= नुक़सान



जो मंज़र देखने वाली हैं आंखें रोने वाला है...
जो मंज़र देखने वाली हैं आंखें रोने वाला है
कि फिर बंजर ज़मीं में बीज कोई बोने वाला है.
जो मंज़र देखने वाली हैं आंखें रोने वाला है
बहादुर लोग नादिम हो रहे हैं हैरती में हूं.
अजब दहशत-ख़बर है शहर खाली होने वाला है.
नादिम= शर्मिंदा, लज्जित ,पछताने वाला,पश्चाताप करने वाला, संकुचित.



दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिये...
दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिये
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये
इस अंजुमन में आपको आना है बार-बार
दीवार-ओ-दर को ग़ौर से पहचान लीजिये
माना के दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास
लेकिन ये क्या के ग़ैर का एहसान लीजिये
कहिये तो आसमां को ज़मीं पर उतार लाएं
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये.
नोट: शहरयार जी ने ये ग़ज़ल उमराव जान मूवी के लिए लिखी थी.

No comments: