Friday, April 17, 2020

आदमी हूं सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर

सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती
चलो तुम उधर को हवा हो जिधर की
- अल्ताफ़ हुसैन हाली

मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर
आदमी हूं सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर
- असद बदायूंनी

हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएंगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई

अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएंगे इक दिन
- साक़ी फ़ारुक़ी

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