Friday, April 24, 2020

तेरी खातिर, अपना सब जला दिया।

खुश नसीब इतना,नसीब मेरा
क्या हैं वफाएँ दर्द तेरी,सब कुछ था वो लुटा दिया।
मेरे महबूब, तेरी खातिर, अपना सब जला दिया।

मुझे

ऐ काश!कोई गम
मिला होता तो क्या होता?
मुझें मंजिल मिलीं होती, तो क्या होता?
खुदा होता,खुदा होता

मुझेंं ऐ काश!तेरी पनाह
मिलींं होती,तो क्या होता ?
मुझें मेरे गुनाहों की
सजा मिलती,तो क्या होता ?
खुदा होता,खुदा होता

मुझें ऐ काश!दुनिया में
कोई मिलता तो क्या होता !
तेरी रंगीन दुनिया के,
नजारे मिल गये होते,तो क्या होता ?
मेरी नजरो में कोई दर्द
छिपा होता, तो क्या होता ?
खुदा होता, खुदा होता

मुझें ऐ काश!दिदार तेरा
मिला होता,तो क्या होता ?
मुझें ऐ दर्द!उम्मीद तेरी
मिली होती,तो क्या होता!
खुदा होता,खुदा होता

मुझें ऐ काश!शोक-बहार
ना मिलींं होती,तो क्या होता?
मेरे जीवन में तेरा दर्द
मिला होता,तो क्या होता ?
मेरे जीवन की बगियाँ में,खिला होता फूल कोई ?
तो क्या होता ?
खुदा होता,खुदा होता...।

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