Tuesday, April 21, 2020

जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर

एक चराग़ और एक किताब और एक उम्मीद असासा
उस के बाद तो जो कुछ है वो सब अफ़्साना है
- इफ़्तिख़ार आरिफ़

हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं
अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं
- तैमूर हसन

इश्क़ में भी सियासतें निकलीं
क़ुर्बतों में भी फ़ासला निकला
- रसा चुग़ताई

जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर
ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की
- जमील मज़हरी

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