एक पुराने दुख ने पूछा- 'क्या तुम अभी वहीं रहते हो ?
उत्तर दिया - चले मत आना, मैंने वह घर बदल दिया है।'
जग ने मेरे सुख के पंछी के
पंखों में पत्थर बांधे हैं,
मेरी विपदाओं ने अपने
पैरों में पायल साधे हैं
एक वेदना मुझसे बोली- 'मैंने अपनी आँख न खोली'
उत्तर दिया- 'चली मत आना, मैंने वह उर बदल दिया है'
एक पुराने...
तूफानों से पहले मेरे
आंगन में तृण डोल गए हैं,
छुपी हुई बिजली बादल के
मन की घातें खोल गए हैं
बादल ने चपला चमकाई, मैंने यह आवाज लगाई-
'तुमने जिस पर आंख लगाई, मैंने तरुवर बदल दिया है'
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