Thursday, April 23, 2020

इन्तेज़ार शायरी

जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना 
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था 
- जौन एलिया

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा 
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा 
- कैफ़ भोपाली
 

इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के 
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के 
- फ़रहत एहसास

इंतिज़ारी तो जान ले लेती
सब्र मिलता रहा सितारों से
- शौक़ मुरादाबादी
मुफ़्लिसी हम ने ख़ुद-कुशी कर ली
मौत का इंतिज़ार क्या करते
- सिरज आलम ज़ख़मी

न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद 
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था 
- फ़िराक़ गोरखपुरी
मुझ को ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुद 
उन को ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई 
- असरार-उल-हक़ मजाज़

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी 
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी 
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहा 
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा 
- साक़ी फ़ारुक़ी

कहीं वो आ के मिटा दें न इंतिज़ार का लुत्फ़ 
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी 
- हसरत जयपुरी

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