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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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अंजान साथी
दिन फीका-फीका लगता है
नारी तुम मौन न बैठो तुम शक्ति और काली हो।
उधर हमें भी है धुन आशियाँ बनाने की
ना जाने इस दुनिया में ये कैसी खामौशी सी छाई है
रात शायरी
इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या व अन्य गजल
आने वाला पल कुछ ऐसे जायेगा
क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता
अहमद फ़राज़ की शायरी
आवाज शायरी
हमने जब भी गुनगुनाई नेह की आसावरी
ये कुछ बदलाव सा अच्छा लगा है
ऐ ख़ुदा दुश्मन भी मुझ को ख़ानदानी चाहिए
फ़राग़त, फ़ुरसत शायरी
चन्द सिक्के भी जरुरी हैं मदारी के लिए
मिट्टी की ये भीनी भीनी खुश्बू
मिर्ज़ा ग़ालिब के चंद मशहूर शेर और शायरियां...
यह भी अच्छा था कि नाराज़गी रही अकसर
ख़्वाब में रात हम ने क्या देखा
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को
बिछड़ के तुझ से मुझे है उमीद मिलने की
अब ज़िन्दगी फिर जीने का मन है
अमीर मीनाई के शेर - शायरी...
मैं अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ
कि अब तु न आयेगा
कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा
कि अब तु न आयेगा
मैं अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ
यूं तो जाते भी मगर अब नहीं जाने वाले
मैं अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ
उम्र गुज़रेगी इंतहान में क्या
मैं अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ
न सोचा था ये दिल लगाने से पहले
तूने क्यों मुस्कुरा के देखा था!
मुझे ईश्क हैं किताबो से......
फिर राह में मौसम की झंकार वही होगी
तूने क्यों मुस्कुरा के देखा था!
फ़सल ए बहार आई भी तो आई इस तरह!
खुशियों के इतने फूल कभी खिले थे
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
कल्पनाओ के गलियो में
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
तेरी खातिर, अपना सब जला दिया।
चलो दिल लगा लो ना
जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है।
सितमो की बातें छोड़ो तुम
मैं उसकी बात बताती हूं,जिससे प्यार नहीं जताती हूं।
जब वो बोले कि कोई प्यारा था
इन्तेज़ार शायरी
मुस्कुराती हुई नजरें
जिंदगी की मजबूरी शायरी
मुस्कुराती हुई नजरें
अब भला छोड़ के घर क्या करते
फूल खिला था तन्हा तन्हा चाँद उगा था तन्हा तन्हा
अब भला छोड़ के घर क्या करते
मुस्कुराती हुई नजरें
जिंदगी की मजबूरी शायरी
जरा थम जा, जरा ठहर जा
आँख शायरी
मुस्तफ़ा ज़ैदी की ग़ज़लें...
खाली सा लगे जब हम ना हों।
जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर
अपने शहर में ऐसे बेगाने हम न थे
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
मुसाफिर शायरी
लोग नज़रों को भी पढ़ लेते हैं
खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है
लोग नज़रों को भी पढ़ लेते हैं
उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है।
दिल रखते हैं दिल में कोई अरमां नहीं रखते
उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है।
ख्वाब shayari
विष्णु सक्सेना की कविताएँ
आहटें सुन रहा हूं यादों की
"वो क्या गए कि बहारों में जी नहीं लगता
आदमी हूं सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर
तुम से मेरी मुलाक़ात
एक पुराने दुख ने पूछा
अब वक़्त जो आने वाला है किस तरह गुज़रने वाला है.
तुझे खुद में महसूस करना जन्नत से कम नहीं
धूप shayari
तुझे खुद में महसूस करना जन्नत से कम नहीं
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता
जिनको कल की फ़िक्र नहींवो मुठ्ठी में आज रखते हैं ॥
पतझड़ सी है जिंदगी और खयाल बहार का।
क्या पत्थर के हो गये हम।
रवैये... "अजनबी" हो जाये तो 'बड़ी' "तकलीफ़" देते हैं
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर
शब्दों की मिट्टी से महफ़िल सजाता हूँ
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
कभी दिमाग़ कभी दिल कभी नज़र में रहो
कहानी शायरी
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
एहतियात शायरी
तेरे ख्याल से कभी फुर्सत नहीं मिली
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यूँ हैं
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Friday, April 24, 2020
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख़्याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
- परवीन शाकिर
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