Thursday, April 23, 2020

जिंदगी की मजबूरी शायरी

ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत
आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है
- अहमद आमेठवी


आप की याद में रोऊं भी न मैं रातों को
हूं तो मजबूर मगर इतना भी मजबूर नहीं
- मंज़र लखनवी

तेरी मजबूरियां दुरुस्त मगर
तू ने वादा किया था याद तो कर
- नासिर काज़मी


इतना तो समझते थे हम भी उस की मजबूरी
इंतिज़ार था लेकिन दर खुला नहीं रक्खा
- भारत भूषण पन्त

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता
- बशीर बद्र


चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आए
मोहब्बत कोई मजबूरी नहीं है
- मज़हर इमाम

कभी मजबूर कर देना कभी मजबूर हो जाना
यही तेरा वतीरा है यही तेरी सियासत है
- ग़ुलाम हुसैन साजिद


एक ही शख़्स को चाहो सदा
ये कैसी मजबूरी है
- बिल्क़ीस ख़ान

हम अपना ग़म भूल गए
आज किसे देखा मजबूर
- नासिर काज़मी


इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं
वगरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैं ने
- जौन एलिया

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