ज़िंदगी क्यूं किसी आंखों के असर में आई
- अता आबिदी
आईना आईना तैरता कोई अक्स
और हर ख़्वाब में दूसरा ख़्वाब है
- अतीक़ुल्लाह
मैं ने जो ख़्वाब अभी देखा नहीं है 'अख़्तर'
मेरा हर ख़्वाब उसी ख़्वाब की ताबीर भी है
- अख़्तर होशियारपुरी
ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्वाब भी ऐसा कि मियाँ
सोचते रहिए कि इस ख़्वाब की ताबीर है क्या
- अहमद अता
ख़्वाब तुम्हारे आते हैं
नींद उड़ा ले जाते हैं
- साबिर वसीम
ख़्वाब देखे थे टूट कर मैं ने
टूट कर ख़्वाब देखते हैं मुझे
- पिन्हां
जिस की कुछ ताबीर न हो
ख़्वाब उसी को कहते हैं
- ज़हीर रहमती
अंधे अदम वजूद के गिर्दाब से निकल
ये ज़िंदगी भी ख़्वाब है तू ख़्वाब से निकल
- आरिफ़ शफ़ीक़
ख़्वाब-हा-ख़्वाब जिस को चाहा था
रंग-हा-रंग उसी को भूल गया
- जौन एलिया
अब मुझे नींद ही नहीं आती
ख़्वाब है ख़्वाब का सहारा भी
- अजमल सिराज
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