हमारी सब उड़ानों की बस इक मंज़िल है पाबन्दी ।
इरादा है अगर कुछ कर गुजर जाने का दुनिया में,
उठो हिम्मत दिखाओ तुम महज़ बातिल है पाबन्दी।
मुहब्बत हो ,अदावत हो ,यहाँ तक की इबादत में,
हमारी ज़िन्दगी में हर जगह शामिल है पाबन्दी ।
तुम्हारे पास आने का सफर था मुख़्तसर लेकिन,
लगी सदियाँ अभी तक भी हमारा दिल है पाबन्दी।
सहूलत है तुम्हें जो सेल्फियाँ अपलोड करते हो,
किसी के वास्ते लेकिन बहुत मुश्किल है पाबन्दी ।
किसी को ग़र बताना हो कि हमने क्या किया अबतक,
उन्हें कहना हमारे दौर का हासिल है पाबन्दी ।
नई नस्लों हिदायत लो कि अब भी वक़्त है वरना,
नहीं सँभले अगर अब भी तो मुस्तक़बिल है पाबन्दी।
विकास प्रताप वर्मा
No comments:
Post a Comment