Saturday, April 11, 2020

दूरी, दूरियाँ, फासला शायरी


न क़रीब आ न तो दूर जा ये जो फ़ासला है ये ठीक है
न गुज़र हदों से न हद बता यही दायरा है ये ठीक है
- भवेश दिलशाद

सारे मंज़र हसीन लगते हैं
दूरियाँ कम न हों तो बेहतर है
- साबिर

हर चंद कू-ए-यार बहुत फ़ासले पे है
बदले हुए अभी से मिज़ाज आसमाँ के हैं
- दिल अय्यूबी

दूरियाँ सिमटने में देर कुछ तो लगती है 
रंजिशों के मिटने में देर कुछ तो लगती है 
-अमजद इस्लाम अमजद

मिलते गए हैं मोड़ नए हर मक़ाम पर
बढ़ती गई है दूरियाँ मंज़िल जगह जगह
- सूफ़ी तबस्सुम

एक नाज़-ए-बे-तकल्लुफ़ मेरे तेरे दरमियाँ
दूरियाँ सारी मिटा दीं फ़ासला रहने दिया
- मज़हर इमाम
ज़िंदगी इक दायरा है गर मुख़ालिफ़ भी चलें
फ़ासला उन दूरियों का मुख़्तसर हो जाएगा
- ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
- कैफ़ भोपाली
हिजरतों में हूजुरियों के जतन
पाँव को दूरियों ने घेरा है
- नासिर शहज़ाद

भुलाने बैठी हूँ सारी दुनिया धड़क रहा है वो मेरे दिल में
जो दूरियाँ हैं समुंदरों की वो फ़ासला है बस इक सदा का
- अलमास शबी

क़ुर्बतें भी दूरियों का बन गईं अक्सर सबब
इस लिए बेहतर है उन की बे-रुख़ी बाक़ी रहे
- अफ़रोज़ तालिब
दूरी है बस एक फ़ैसले की
पतवार चुनूँ कि पर बनाऊँ
- सरवत हुसैन

इक नदी के दो किनारों ऐसा है
फ़ासला हमारे दरमियान का
- इरशाद ख़ान सिकंदर
था न मा'लूम साथ रह कर भी
दरमियान इतना फ़ासला होगा
- अभिषेक कुमार अम्बर

बाँह फैले तो तुम को छू आए
फ़ासला इतना दरमियाँ रखना
- ध्रुव गुप्त

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