ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
- मुज़फ़्फ़र रज़्मी
दगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
- फ़ानी बदायुनी
जब्र ने आख़िरी बोली ईजाद की
मैं ने सारी शाइरी बेच कर आग ख़रीदी
- अफ़ज़ाल अहमद सय्यद
जाने जब्र है हालत कि हालत जब्र है यानी
किसी भी बात के मअनी जो हैं उन के हैं क्या मअनी
- जौन एलिया
जब्र ने आख़िरी बोली ईजाद की
मैं ने सारी शाइरी बेच कर आग ख़रीदी
- अफ़ज़ाल अहमद सय्यद
ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
- फ़ानी बदायुनी
मैं हूँ भी और नहीं भी अजीब बात है ये
ये कैसा जब्र है मैं जिस के इख़्तियार में हूँ
- मुनीर नियाज़ी
ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
- फ़ानी बदायुनी
अपनी तक़दीर अपने हाथ में ले
शामिल-ए-जब्र इख़्तियार भी है
- फ़िराक़ गोरखपुरी
यही जुनूँ का यही तौक़-ओ-दार का मौसम
यही है जब्र यही इख़्तियार का मौसम
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जब रात होती है तो सितारे निकलते हैं
अफ़्शाँ ज़रूर चाहिए थे ज़ुल्फ़-ए-यार में
- गोया फ़क़ीर मोहम्मद
No comments:
Post a Comment