Tuesday, December 17, 2019

जब्र शायरी

जब्र का मतलब होता है- वो सब कुछ जो मर्ज़ी के ख़िलाफ़ थोप दिया जाना या किसी बात के लिए मजबूर करना। हठ करना, अत्याचार अथवा जुल्म। 

ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने 
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई 
- मुज़फ़्फ़र रज़्मी

दगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं 
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं 
- फ़ानी बदायुनी

जब्र ने आख़िरी बोली ईजाद की
मैं ने सारी शाइरी बेच कर आग ख़रीदी
- अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

जाने जब्र है हालत कि हालत जब्र है यानी
किसी भी बात के मअनी जो हैं उन के हैं क्या मअनी
- जौन एलिया

जब्र ने आख़िरी बोली ईजाद की
मैं ने सारी शाइरी बेच कर आग ख़रीदी
- अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं 
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं 
- फ़ानी बदायुनी

मैं हूँ भी और नहीं भी अजीब बात है ये 
ये कैसा जब्र है मैं जिस के इख़्तियार में हूँ 
- मुनीर नियाज़ी

ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
- फ़ानी बदायुनी

अपनी तक़दीर अपने हाथ में ले
शामिल-ए-जब्र इख़्तियार भी है
- फ़िराक़ गोरखपुरी

यही जुनूँ का यही तौक़-ओ-दार का मौसम
यही है जब्र यही इख़्तियार का मौसम
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जब रात होती है तो सितारे निकलते हैं
अफ़्शाँ ज़रूर चाहिए थे ज़ुल्फ़-ए-यार में
- गोया फ़क़ीर मोहम्मद

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