Sunday, December 29, 2019

अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा

अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा 

उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा 

तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं 

मैं गिरा तो मसअला बन कर खड़ा हो जाऊँगा 

मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र 

रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा 

सारी दुनिया की नज़र में है मिरा अहद-ए-वफ़ा 

इक तिरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा! 

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