Sunday, December 29, 2019

ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब 
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक 

हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक

~मिर्ज़ा ग़ालिब 

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